“काश! सबको मिल जाए ऐसी नौकरी” पर दैनिक जागरण ने दिया स्पष्टीकरण
आँकड़ों को लेकर हुई गलतफहमी
दैनिक जागरण (झाँसी) में 10 जुलाई के अंक में “पैरिंग : बच्चों की हुई, शिक्षकों की नहीं” शीर्षक से प्रकाशित समाचार में शिक्षकों के ‘वेनिंग आउट बैलेंस’ के आँकड़ों को लेकर कुछ गलतफहमी हुई है। यह आँकड़े एवं टिप्पणी सभी शिक्षकों के लिए नहीं हैं, बल्कि पेयर किए गए विद्यालयों के शिक्षकों की तैनाती को लेकर बनी असमंजस की स्थिति के परिप्रेक्ष्य में थीं। दरअसल, झाँसी में आदेशों की भाषा व मौके पर दिए जा रहे आदेश में थोड़ा फर्क था। राज्य परिषदीय विद्यालयों में नियोजन आदेश आ रहे हैं, जिससे पैरिंग किए गए स्कूल के शिक्षकों के खाली होने की स्थिति बन गई थी। विद्यालय में छात्र हैं और अध्यापक “कम-से-कम, आओ, पढ़ाओ और जाओ” की स्थिति में पहुंच रहे थे, जिसे शिक्षक नहीं समझ पा रहे थे।
परिषदीय निदेशालय से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार 10 जुलाई के बाद विद्यालयों में शिक्षक की संख्या बढ़ी है और वर्तमान में राज्य स्तर पर औसतन 1:30 से अधिक शिक्षक छात्र अनुपात हो गया है। जागरण स्पष्ट करता है कि सभी शिक्षक वर्ग के लिए उसका रुख हमेशा सम्मानजनक रहा है, और रहेगा। हमने हमेशा शिक्षक समाज को एक प्रेरक और प्रेरणादायी रूप में देखा है और शिक्षा को सेवा भावना से जोड़ा है। शिक्षक वर्ग समाज का सबसे जागरूक, प्रभावशाली और समाज को दिशा देने वाला वर्ग है।
‘जागरण’ ने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी है। इसी का परिणाम है कि शिक्षक समाज के सहयोग से ही ‘शिक्षक सम्मान समारोह’ जैसे कार्यक्रम को हम सफलतापूर्वक आयोजित करते रहे हैं। ‘शिक्षक सम्मान’ को ‘जागरण’ ने अपने शीर्ष एजेंडे में शामिल किया है और आगामी वर्षों में इसे और भव्य रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। ‘जागरण’ अपने पाठकों को यह स्पष्ट करता है कि उसे प्राप्त आंकड़ों से यह प्रतीत हो रहा था कि ECCE शिक्षक को प्रति घंटे 40 से 50 रुपये के बीच वेतन होगा। ‘जागरण’ अपने पाठकों से क्षमाप्रार्थी है कि उसे जो जानकारी प्राप्त हुई, जिसके आधार पर समाचार बनाया गया, यदि वह सत्य से भिन्न हो, तो उसका खेद है।
समाचारों का उद्देश्य समाज को सही दिशा देना है, शिक्षक वर्ग समाज की रीढ़ है। यदि किसी समाचार से शिक्षकों को ठेस पहुंची हो या आँकड़ों को लेकर जो गलतफहमी हुई, उसके लिए हमें खेद है।
– सम्पादक







