India Census 2026: दो चरणों में होगी जनगणना | मकान सूचीकरण और डिजिटल जनगणना की पूरी जानकारी
लखनऊ। भारत की आगामी जनगणना 2026 में दो चरणों में की जाएगी, जिसकी शुरुआत 1 अप्रैल 2026 से होगी। भारत के महापंजीयक मृत्युंजय कुमार नारायण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि पहले चरण में मकान सूचीकरण और आवास गणना की जाएगी।
पहला चरण: मकानों की सूची और आवास गणना
इस चरण में घरों की संख्या, उनकी स्थिति, सुविधाएं, संरचना आदि का डाटा एकत्र किया जाएगा। मकान फर्श, छत और दीवारों में प्रयुक्त सामग्री, बिजली, पानी, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं की जानकारी ली जाएगी। यह चरण 1 अप्रैल 2026 से आरंभ होगा।
दूसरा चरण: जनसंख्या गणना
दूसरा चरण 1 फरवरी 2027 से शुरू होगा जिसमें हर घर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जानकारी ली जाएगी। इसमें सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय विवरण जैसे नाम, लिंग, आयु, शिक्षा, व्यवसाय, धर्म, जाति, भाषा, विवाह स्थिति आदि शामिल होंगे।
31 दिसंबर, 2025 के बाद नहीं होगा कोई बदलाव
सरकार ने स्पष्ट किया है कि 31 दिसंबर, 2025 के बाद किसी भी प्रशासनिक इकाई में बदलाव जनगणना में मान्य नहीं होगा। गांवों और कस्बों को एक समान गणना खंडों में विभाजित कर एक-एक गणक नियुक्त किया जाएगा ताकि डुप्लीकेशन या मिसिंग एंट्री से बचा जा सके।
डिजिटल होगी जनगणना | मोबाइल ऐप और Self Enumeration
2026 की जनगणना पहली डिजिटल जनगणना होगी जो मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से की जाएगी। Self Enumeration की सुविधा भी दी जाएगी जिससे नागरिक स्वयं भी जानकारी भर सकेंगे।
पूछे जाएंगे ये प्रमुख सवाल
- घर में प्रयुक्त फर्श, छत, दीवार की सामग्री
- कमरों की संख्या
- बिजली, पानी, शौचालय, स्नान की सुविधाएं
- खाना पकाने में प्रयुक्त ईंधन (LPG/PNG)
- एलपीजी/पीएनजी कनेक्शन है या नहीं
- मुखिया महिला है या नहीं
- SC/ST वर्ग से संबंध
- विवाहित जोड़े की संख्या
- घर में रहने वाले कुल लोगों की संख्या
तैयारी शुरू: गणक और निरीक्षक जल्द होंगे नियुक्त
राज्य सरकारों के सहयोग से गणकों और निरीक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। सभी जिलों में इन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा और जिम्मेदारियों का बंटवारा होगा।
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निष्कर्ष:
जनगणना 2026 भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है जिसमें डिजिटल माध्यम का बड़ा उपयोग होगा। जनता से अनुरोध है कि वे समय पर और सटीक जानकारी दें ताकि योजना और नीतियों का सही निर्माण किया जा सके।