लखनऊ। अब यूपी के छोटे-छोटे सरकारी स्कूल जो खाली पड़े हैं या जिनमें बहुत कम बच्चे हैं, उन्हें पास के बड़े स्कूलों से जोड़ा जा रहा है। सरकार कह रही है कि इससे बच्चों को पढ़ाई का अच्छा माहौल मिलेगा, टीचर मिलेंगे, और स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी, खेल का मैदान जैसी अच्छी सुविधाएं भी मिलेंगी।
बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि इस योजना से स्कूलों को आपस में जोड़ा जा रहा है ताकि सबको बराबरी की पढ़ाई और संसाधन मिल सकें। अब हर क्लास के लिए अलग टीचर रहेगा और बच्चों को अच्छी सुविधाएं एक ही जगह मिलेंगी – जैसे प्राइवेट स्कूलों में होती हैं।
और भी राज्यों में चल रही है ये चीज़
यूपी अकेला नहीं है, ये काम पहले से राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल और असम जैसे राज्यों में चल रहा है। राजस्थान में तो 17 हजार से ज्यादा स्कूलों को एक साथ मिला दिया गया है। मध्य प्रदेश में “एक परिसर, एक स्कूल” मॉडल चल रहा है, जहां 16 हजार से ज्यादा स्कूल एकीकृत किए गए हैं।
झारखंड में पहले 65% स्कूल ऐसे थे जहां सिर्फ एक या दो टीचर थे। अब एकीकरण के बाद टीचर-बच्चे का अनुपात सुधर गया है। ओडिशा, हिमाचल और असम में भी इसी तरीके से पढ़ाई का स्तर सुधारा गया है।
स्कूल बंद नहीं होंगे, सिर्फ बेहतर होंगे
सरकार की तरफ से ये साफ कर दिया गया है कि कोई स्कूल बंद नहीं होगा। बस, कुछ स्कूलों में प्री-प्राइमरी की क्लास होंगी, तो कुछ में प्राइमरी या अपर प्राइमरी। सभी स्कूलों को स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, ओपन जिम, वाई-फाई, अच्छे फर्नीचर और साफ शौचालय जैसी चीज़ों से लैस किया जा रहा है।
आगे चलकर “मुख्यमंत्री अभ्युदय स्कूल” और “मॉडल कंपोजिट स्कूल” भी बनाए जाएंगे, जहां नर्सरी से 8वीं या 12वीं तक की पढ़ाई एक ही कैंपस में होगी।
2017 से पहले हालात खराब थे
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि पहले स्कूलों में न टीचर थे, न संसाधन, न बच्चे। एक ही मास्टर से तीन क्लासें चलती थीं। बहुत सारे स्कूल ऐसे थे जहां 5-10 बच्चे ही थे। अब सरकार ने बच्चों को मुफ्त किताबें, ड्रेस के पैसे सीधे खाते में देना, और स्कूलों को सुधरने की दिशा में काम शुरू किया है।
अब कोशिश ये है कि हर क्लास में सब्जेक्ट के हिसाब से टीचर हों और बच्चों को वो सबकुछ मिले जो पढ़ाई के लिए जरूरी है।






