प्रयागराज — जिले के परिषदीय स्कूलों में पढ़ रहे 48,389 बच्चों को सरकारी सहायता मिलने में बड़ी रुकावट खड़ी हो गई है। वजह है – आधार सत्यापन की प्रक्रिया अधूरी रह जाना। इस कारण बच्चों को अभी तक शासन की तरफ से मिलने वाली 1200 रुपये की मदद नहीं मिल सकी है, जो उन्हें स्वेटर, जूते-मोजे, बैग और स्टेशनरी जैसी आवश्यक चीजें खरीदने के लिए दी जाती है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) देवब्रत सिंह ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए सभी खंड शिक्षाधिकारियों (BEOs) को निर्देश दिए हैं कि शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए पढ़ रहे सभी बच्चों का DBT (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) डाटा एक सप्ताह के भीतर सत्यापित कराना अनिवार्य है।
क्या कहता है डेटा:
जिले में कक्षा 1 से 8 तक कुल 3,31,868 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं।
इनमें:
1985 बच्चों का आधार सत्यापित नहीं है।
21,162 बच्चों के पास आधार कार्ड ही नहीं है।
38,390 बच्चों का सत्यापन शिक्षक स्तर पर अटका हुआ है।
17,228 मामलों में सत्यापन स्कूल स्तर पर लंबित है।
550 बच्चों का सत्यापन खंड शिक्षाधिकारी स्तर पर लंबित है।
7246 बच्चों के बैंक खाते आधार से सीडेड नहीं हैं।
कुल मिलाकर, 48,389 बच्चे अभी तक DBT लाभ से वंचित हैं।
कड़ी कार्रवाई की चेतावनी:
बीएसए ने विशेष रूप से उन 21,162 बच्चों के आधार न बनने पर नाराज़गी जताई है जिनके पास अब तक आधार कार्ड ही नहीं है। खंड शिक्षाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि संबंधित प्रधानाध्यापकों को नोटिस जारी किया जाए और उनसे तीन दिन के भीतर यह बताने को कहा जाए कि अब तक आधार क्यों नहीं बनवाया गया।
निष्कर्ष:
सरकार की मंशा साफ है कि हर छात्र को बिना किसी बाधा के उसकी जरूरत की सामग्री के लिए वित्तीय मदद मिले। लेकिन आधार सत्यापन की लापरवाही से हजारों बच्चों का भविष्य फिलहाल अधर में लटक गया है। प्रशासन अब तेजी से कार्रवाई की तैयारी में है ताकि बच्चों को समय पर मदद मिल सके।






