Alert: शराब की दुकानों पर रोक और स्कूलों की बहाली की मांग!
प्रयागराज में जनता दल यूनाइटेड (JDU) के जिला पदाधिकारियों ने एक महत्वपूर्ण बैठक में सरकार के दो फैसलों का जोरदार विरोध किया। सीएमपी डिग्री कॉलेज के पास हुई इस बैठक में प्राइमरी स्कूलों के विलय और शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। पार्टी नेता संजय पटेल ने इस प्रस्ताव को रखते हुए कहा कि सरकार को गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए नए स्कूल खोलने चाहिए, न कि मौजूदा स्कूलों को बंद करना चाहिए। साथ ही, शराब की दुकानें कम करने की मांग भी उठाई गई।
इस बैठक में मौजूद नेताओं ने साफ किया कि अगर सरकार ने इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे एक जन आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि शराबबंदी (Liquor Ban) और शिक्षा का अधिकार (Right to Education) जनता के बुनियादी हक हैं, और सरकार को इन पर ध्यान देना चाहिए। इस मौके पर अनु सिंह, दशानंद सिंह पटेल, मुन्ना बिंद और हनुमान बली जैसे कई प्रमुख नेता मौजूद रहे।
क्यों उठाई जा रही है यह मांग?
जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का कहना है कि सरकारी स्कूलों का विलय करने से गांव-देहात के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी। उनका तर्क है कि जिन इलाकों में स्कूल बंद किए जा रहे हैं, वहां के बच्चों को दूर-दराज के स्कूलों में जाना पड़ेगा, जिससे ड्रॉपआउट रेट (Dropout Rate) बढ़ सकता है। वहीं, शराब की दुकानों की संख्या बढ़ने से समाज में अपराध और घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं बढ़ेंगी।
मुद्दा JDU की मांग संभावित प्रभाव
प्राइमरी स्कूलों का विलय स्कूल बंद करने के बजाय नए खोले जाएं गरीब बच्चों की शिक्षा सुधरेगी, ड्रॉपआउट कम होगा
शराब की दुकानें बढ़ना शराब की दुकानों पर रोक लगे अपराध और घरेलू हिंसा कम होगी, समाज का माहौल बेहतर होगा
क्या होगा आगे का रोडमैप?
जनता दल यूनाइटेड ने साफ किया है कि वह इस मुद्दे पर जनता का समर्थन जुटाएगी और अगर जरूरत पड़ी, तो धरना-प्रदर्शन भी करेगी। पार्टी के नेताओं ने कहा कि वे सरकार से बातचीत करने की कोशिश करेंगे, लेकिन अगर कोई हल नहीं निकला, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
इस बैठक में शामिल लोगों का मानना है कि Alert: शराब की दुकानों पर रोक और स्कूलों की बहाली की मांग! एक जरूरी मुद्दा है, जिस पर सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। अब देखना होगा कि सरकार इस मांग पर क्या रुख अपनाती है।
Alert: शराब की दुकानों पर रोक और स्कूलों की बहाली की मांग! –
यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि समाज के भविष्य से जुड़ा सवाल है। अगर सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो यह आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है।






