इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों के विलय को लेकर याचिका खारिज की
लखनऊ खंडपीठ के पूर्व निर्णय को आधार बनाया, याचियों को राहत नहीं मिली
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों के विलय के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की एकल पीठ ने लखनऊ खंडपीठ के पहले के फैसले को ध्यान में रखते हुए यह आदेश पारित किया। इससे याचिकाकर्ताओं को कोई राहत नहीं मिली है।
याचिकाकर्ताओं की मांग क्या थी?
शाहजहांपुर के शशि, उपासना, अविनाश पाल, नीलेश कुमार और दीप शिखा ने याचिका दाखिल कर निम्नलिखित मांगें रखी थीं:
- 16 जून 2025 के शासनादेश को रद्द करने का निर्देश दिया जाए, जिसमें प्राथमिक विद्यालयों के विलय का प्रावधान है।
- शाहजहांपुर के बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) के 30 जून 2025 और पीलीभीत के बीएसए के 25 जून 2025 के आदेशों को भी रद्द किया जाए।
- मदनापुर ब्लॉक (शाहजहांपुर) के गिरधरपुर छीटी स्थित प्राथमिक विद्यालय का संचालन जारी रखने के लिए अंतरिम आदेश जारी किया जाए।
कोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने लखनऊ खंडपीठ के पूर्व निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि “इस मामले पर पहले ही निर्णय हो चुका है।” अतः याचिका को निस्तारित कर दिया गया।
क्या होगा अब?
इस फैसले के बाद प्राथमिक विद्यालयों के विलय की प्रक्रिया जारी रहेगी। हालांकि, याचिकाकर्ताओं के पास अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने का विकल्प बचा है।
पृष्ठभूमि
उत्तर प्रदेश सरकार ने छात्र-शिक्षक अनुपात और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए कम संख्या में छात्रों वाले स्कूलों के विलय की नीति बनाई है। लेकिन इसके विरोध में कई जगहों से आपत्तियां सामने आई हैं।
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