वह एक साधारण सरकारी क्लर्क है कम से कम पदनाम से तो यही प्रतीत होता है। लेकिन जब उसकी संपत्ति की परतें खुलती हैं, तो लगता है जैसे किसी अरबपति कारोबारी की कहानी सुन रहे हों। अयोध्या बेसिक शिक्षा विभाग में वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय में तैनात यह लिपिक, वर्षों से जिले में वेतन वितरण जैसे जिम्मेदार कार्य की आड़ में भ्रष्टाचार की ऐसी किताब लिखता रहा, जिसे पढ़कर ईमानदारी भी शरमा जाए।
तरबगंज विधायक प्रेम नारायण पांडेय द्वारा मुख्यमंत्री को की गई शिकायत में आरोप है कि यह लिपिक न केवल आय से कई गुना अधिक संपत्ति का मालिक है, बल्कि उसने परिवारजनों को भी इस गोरखधंधे में शामिल कर रखा है। करोड़ों की चल-अचल संपत्तियों, फर्जी नियुक्तियों और सैलरी घोटाले की परत-दर-परत खुलती यह कहानी सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि सत्ता, सिस्टम और संवैधानिक मर्यादाओं की बेहूदा खिल्ली का जीवंत उदाहरण है।
सात मकान, नौ गाड़ियों और पांच नौकर !
शिकायत में दावा किया गया है कि लिपिक के पास गोडा और लखनऊ में कुल 7 मकान, 9 लग्जरी गाड़ियाँ, 5 घरेलू नौकर, और करोड़ों की अवैध संपत्ति है। इतना ही नहीं, पत्नी और करीबियों के नाम पर आठ लग्जरी वाहन भी दर्ज हैं। क्लर्क की हैसियत में यह सब कुछ मुमकिन कैसे हुआ? जवाब है तनख्वाह से नहीं, तिकड़मों से।
शिक्षक नियुक्ति घोटालाः साली, बेटी और पत्नी सब स्क्रिप्ट में शामिल
विधायक की शिकायत के अनुसार लिपिक ने अपनी पत्नी के नाम से अलग-अलग बैंकों में खाते खुलवाए और एक विद्यालय में सहायक अध्यापक के रूप में फर्जी भुगतान कराया। यही नहीं, फर्जी डिग्री के आधार पर अपनी साली को शिक्षक नियुक्त कर लाखों रुपये की सैलरी दिलवाई गई। सबसे चौंकाने वाला मामला उनकी बेटी का है, जो जनवरी 2024 में दुबई गई और फरवरी के अंत में लौटी, लेकिन उसके नाम पर पूरा वेतन जारी कर दिया गया, जबकि किसी भी सक्षम अधिकारी से छुट्टी की अनुमति तक नहीं ली गई थी।
दुबई में शाही ठाठ एक रात 77 हजार, एक थाली 6500
लिपिक की बेटी दुबई में जिस होटल में ठहरी, उसका एक रात का किराया 77,000, भोजन 6500 प्रति थाली, और एक बोतल पानी 2700 बताई गई है। ये खर्वे उस आदमी के खाते में दर्ज हो रहे हैं, जिसकी मासिक तनख्वाह मुश्किल से 740-50 हजार के बीच है।
भाईयों के नाम पर भी चल रहा प्रॉपर्टी का खेल
विधायक का आरोप है कि लिपिक ने अपने भाईयों के नाम पर भी अवैध संपत्तियाँ खड़ी कर रखी हैं, जिससे ये साबित होता है कि पूरा परिवार एक सुनियोजित भ्रष्टाचार नेटवर्क की तरह काम कर रहा है। घर में नौकरों की फौज है, बैंक खातों में संदिग्ध लेन-देन की भरमार और विभागीय फाइलों में गड़बड़झाला।
मामला पहुँचा मुख्यमंत्री कार्यालय, जांच शुरू
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने देवीपाटन मंडल के आयुक्त को जांच का आदेश भेजा है। मंडलायुक्त शशिभूषण लाल सुशील ने पुष्टि की है कि उन्हें पत्र प्राप्त हुआ है और 卐प्रकरण की गहन जांच कराई जा रही है। विधायक ने सीधे मांग की है कि इस पूरे घोटाले में एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाए। हालाकि कहा यह भी जा रहा कि विधायक मैनेज हो गए है लेकिन विधायक ने इस बात से साफ इंकार कर दिया है।
Source: स्वराज इंडिया







