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यूपी कैबिनेट का फैसला: सांसद, विधायकों व पूर्व छात्रों से भवन निर्माण में मदद ले सकेंगे एडेड विद्यालय, प्रोजेक्ट अलंकार

On: August 8, 2025 8:00 AM
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प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के जीर्णोद्धार, मरम्मत, पुनर्निमाण, निर्माण व अवस्थापना सुविधाओं के लिए अब जनप्रतिनिधि, पूर्व छात्रों व सीएसआर फंड की भी मदद ली जा सकेगी। योजना के तहत होने वाले खर्च की 25 फीसदी राशि इनसे सहयोग में ली जा सकेगी। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से 12 जून 2023 को जारी नियमावली में संशोधन को कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी।


माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से एडेड कॉलेजों के कायाकल्प के लिए दो साल पहले प्रोजेक्ट अलंकार योजना शुरू की गई थी। योजना के तहत 50 साल से कम समय में मान्यता वाले पुराने व जर्जर विद्यालयों के जीर्णोद्धार, मरम्मत, पुनर्निमाण, निर्माण व अवस्थापना सुविधाओं के लिए राज्य सरकार की ओर से 75 फीसदी राशि देने व 25 फीसदी संबंधित संस्था या प्रबंधन की ओर से शामिल करने का निर्णय लिया गया था।


इस योजना में काफी कॉलेजों का कायाकल्प भी किया गया। किंतु अभी भी कुछ ऐसे हैं जो 25 फीसदी राशि भी जुटाने की स्थिति में नहीं थे। इसे देखते हुए विभाग की ओर संशोधित प्रस्ताव दिया गया है कि संस्था-प्रबंध तंत्र की 25 फीसदी राशि वे सांसद व विधायक निधि, सीएसआर, पूर्व छात्रों, गणमान्य व्यक्ति, जनप्रतिनिधियों, किसी व्यक्ति या संस्था से प्राप्त कर सकेंगे। उन्हें संबंधित जिलाधिकारी के माध्यम से इसका सहमति पत्र डीआईओएस को दिया जाएगा।


विभाग के अनुसार प्रदेश में 4512 एडेड माध्यमिक विद्यालय हैं। इसमें से लगभग तीन हजार विद्यालयों के भवन जर्जर हैं। ऐसे में सरकार की ओर से दी गई इस छूट से यह विद्यालय भी योजना के तहत लाभांवित हो सकेंगे। हालांकि शिक्षक संघ इसके लिए पूरी 100 फीसदी सहायता देने की मांग कर रहे हैं। ताकि पुराने विद्यालयों के भवन सृदृढ़ हो सकें और यहां के छात्र भी सुरक्षित हो सकें।


47 साल बाद प्रदेश को मिलेंगे नए राजकीय औद्योगिक पार्क


उत्तर प्रदेश को 47 साल बाद नए राजकीय औद्योगिक आस्थान मिलेंगे, जहां छोटे उद्यमियों को सस्ते भूखंड मिलेंगे। इसके लिए प्रदेश सरकार सभी 75 जिलों में निशुल्क जमीन उपलब्ध कराएगी, जिसे विकसित कर उद्यमियों को कम दाम पर दिया जाएगा। ये जमीनें ग्राम समाज और निष्प्रयोज्य होने के साथ भूमाफियाओं की भी होंगी। इस संबंध में कैबिनेट में पेश उत्तर प्रदेश लघु उद्योग औद्योगिक आस्थान नीति को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी। उद्यमियों को न्यूनतम 2000 से 3000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर पर भूखंडों का आवंटन होगा। ये जानकारी एमएसएमई मंत्री राकेश सचान ने दी।


कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव के अनुमोदन की जानकारी देते हुए राकेश सचान ने बताया कि 1978 के बाद से नए औद्योगिक आस्थान नहीं बने थे। 1978 से 2022 तक ये आस्थान चले लेकिन भूखंड न होने, लैंड यूज बदलाव संबंधी तमाम दिक्कतों की वजह से नए आस्थानों की जरूरत महसूस की गई। नई नीति के तहत भूखंड की न्यूनतम कीमत पश्चिमांचल में 3000 रुपये वर्गमीटर, मध्यांचल में 2500 रुपये वर्गमीटर और पूर्वांचल व बुंदेलखंड में 2000 वर्गमीटर होगी। ये दरें वर्ष वित्त वर्ष 25-26 की हैं। फिर इनमें 5 फीसदी की वृद्धि की जाएगी। ये नीति तीन वर्ष के लिए लागू की गई है। वर्ष 27-28 के बाद इस नीति का नवीनीकरण किया जाएगा।


एमएसएमई मंत्री ने बताया कि एमएसएमई सेक्टर को सस्ती जमीन देने की सोच मुख्यमंत्री की है। जमीनों का आवंटन ई-नीलामी के जरिये किया जाएगा। भूखंड की कीमत का 10 फीसदी मार्जिन मनी देकर ई नीलामी में उद्यमी हिस्सा ले सकेंगे। इन भूखंडों के आवंटन में स्थानीय छोटे उद्यमियों को प्राथमिकता दी जाएगी। भू उपयोग परिवर्तन को मंजूरी शासन स्तर पर दी जाएगी। एससी-एसटी को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। लीज रेंट समय पर जमा न करने पर 18 फीसदी ब्याज लिया जाएगा। अभी 12 जिलों में नए राजकीय औद्योगिक आस्थान के प्रस्ताव आ चुके हैं। अलीगढ़ और कानपुर देहात में दो आस्थान लगभग तैयार हैं।

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