उत्तर प्रदेश में 22 वर्षों बाद विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू हो गया है। यह प्रक्रिया 2003 के बाद पहली बार हो रही है, जिसमें निर्वाचन अधिकारियों को व्यापक प्रशिक्षण दिया गया है। राज्य के 137 रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को सूची संबंधी प्रक्रिया की जानकारी दी गई।
अब यदि मतदाता का नाम पहली या वर्तमान सूची में है, तो उसे मतदान के लिए कोई दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं होगी। नाम जुड़ने या कटने की सभी सूचनाएं सुरक्षित रूप से रखी जाएंगी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने सभी संबंधित कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया, जिससे भविष्य में पारदर्शिता और सही जानकारी का संकलन सुनिश्चित हो सके।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची में एसआईआर की संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसमें कोई रुकावट नहीं लगाई जा सकती। मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण में लोगों को अपने नाम जोड़ने और पुराने नामों को अपडेट करने का पुनः मौका मिलेगा।
नई प्रक्रिया के तहत स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि मतदान के लिए नाम सूची में होना ही पर्याप्त है, कोई अन्य दस्तावेज देना जरूरी नहीं रहेगा। यह पहल चुनाव प्रक्रिया को अधिक सुगम और निष्पक्ष बनाएगी।
22 साल बाद उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण शुरू
By Basic wale
On: September 16, 2025 6:16 AM


